चंबल एक्सप्रेस-वे राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले गरीबों और आदिवासियों के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है. आइए विस्तार से चंबल एक्सप्रेस-वे, इसका महत्व, लाभ, परियोजना की लागत, इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं.
चंबल एक्सप्रेस-वे: 4 जुलाई, 2020 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चंबल एक्सप्रेस-वे की प्रस्तावित परियोजना की समीक्षा की. इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया उपस्थित थे.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री ने परियोजना बनाने के लिए शीघ्र पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण और रॉयल्टी / स्थानीय कर छूट पर जोर दिया. यह रोजगार की विशाल संभावनाएं भी प्रदान करेगा.
चंबल एक्सप्रेस-वे के बारे में
चंबल एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों में प्रस्तावित छह लेन का एक्सप्रेस-वे है. चंबल एक्सप्रेसवे नाम दिया गया है क्योंकि इसे चंबल नदी के किनारे बनाया जाएगा. एक्सप्रेस-वे राजस्थान में कोटा को उत्तर प्रदेश में श्योपुर और मुरैना जिलों के माध्यम से इटावा से जोड़ेगा. प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे की लागत 8,250 करोड़ रुपये है.
404 किमी लंबा प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश के माध्यम से कानपुर से कोटा तक एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है और फिर दिल्ली मुंबई कॉरिडोर में शामिल होता है.
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