Monday, September 14, 2020

अरुणाचल प्रदेश के लिए अफीम, चीन से बड़ा खतरा है

 

अरुणाचल प्रदेश अफीम की अवैध खेती में सबसे आगे है जो यहां की आबादी के साथ-साथ पूरे उत्तर-पूर्वी भारत के लिए एक बड़े खतरे की वजह बन सकती है




नशीली दवाओं या ड्रग्स के विरोध का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब होता है? यह शायद हम में से बहुत कम लोगों को पता होगा. लेकिन अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले में बहुत कम लोग होंगे जिन्हें यह पता न हो. दरअसल अब इस जिले में हर साल 26 जून (नशीली दवाओं के विरोध का अंतर्राष्ट्रीय दिवस) इतने जोर-शोर से मनाया जाता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए इसकी अनदेखी करना मुश्किल है. इस दिन तिराप में कई कार्यक्रम होते हैं जिनकी तैयारियां काफी पहले शुरू हो जाती हैं. इनकी अगुवाई असम राइफल्स करता है. जिले में बड़े पैमाने पर रैलियां निकाली जाती है. युवाओं व बच्चों के कार्यक्रम होते हैं और कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इस पूरे आयोजन का एक ही मकसद है. लोगों को नशे, खासकर अफीम के नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना.

अभी तक पंजाब के बारे में माना जाता है यहां ड्रग्स की लत के चलते युवाओं की एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हो चुकी है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक पिछले दो साल के दौरान ड्रग्स के इस्तेमाल और कारोबार से जुड़े कानून के तहत पूरे देश में जितने मामले दर्ज हुए, तकरीबन आधे पंजाब से ही हैं. राज्य में पाकिस्तान की सीमा की तरफ पड़ने वाले जिलों - बठिंडा, मोगा, अमृतसर और तरनतारन - में यह समस्या खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि अफीम की अवैध खेती के चलते कुछ सालों के बाद पूर्वोत्तर का सबसे शांत राज्य अरुणाचल प्रदेश इससे भी बड़ी श्रेणी में आ सकता है. इसकी वजह यह है कि यह अवैध अफीम का बहुत बड़ा उत्पादक भी है.

नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के हालिया आंकड़ों के अनुसार 2014-15 के दौरान पूरे देश में 2,530 एकड़ में अफीम की अवैध फसल नष्ट की गई है. लेकिन इसमें से 1067 एकड़ फसल अकेले अरुणाचल प्रदेश की थी. इसका मतलब है कि अफीम की अवैध खेती का 40 फीसदी हिस्सा अकेले अरुणाचल प्रदेश में उगाया जा रहा था. यह आंकड़ा हाल ही उजागर हुआ है और इसके बाद से सुरक्षा एजेंसियों से लेकर सामाजिक संगठन तक सकते में हैं.

अरुणाचल प्रदेश में अफीम की अवैध खेती और लोगों के बीच बढ़ती नशे की लत पर विशेषज्ञ कुछ सालों से लगातार चेतावनी दे रहे हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ नार्कोटिक्स स्टडी एंड एनालिसिस (इंसा) ने 2010 में पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के अंजा और लोहित जिले में एक व्यापक सर्वे किया था. इंसा ने पाया था कि यहां सैकड़ों एकड़ में अफीम की अवैध खेती हो रही है. यही नहीं इन जिलों की एक बड़ी आबादी नशे की गिरफ्त में थी. इंसा के पूर्व अध्यक्ष रोमेश भट्टाचारजी एक मीडिया रिपोर्ट में कहते हैं, ‘सिर्फ इन दो जिलों में उस समय 16,441 हेक्टेयर पर अफीम की खेती हो रही थी. यह प्रदेश अफीम में गुम होता जा रहा है.’ भट्टाचारजी देश के नार्कोटिक्स कमिश्नर भी रह चुके हैं.

Hindustan

Author & Editor

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